कैसे मना लूँ ये दिवाली ,मेरे घर लगा है ,दीपक का मेला ,तो उस घर है ,आँशुओ का बसेरा ,निभा दिया उसने अपना हर वादा ,अपनी आखरी साँस तक सरहद पर लड़ा ,सांसे उखड़ रही थी ,आँखे बंद हुई जा रही थी ,जूनून था बस दुश्मन से हर न मानना,आया इस दिवाली वो अपने घर ,तिरंगे मे लिपटकर ,बस वो चुप था ,चेहरे पर वही तेज़ था ,माँ अब अपना ख़ुद से ख्याल रखना ,हर दिवाली पर ,पूरा घर हमेशा की तरह रोशन करना ,माँ मे रहुगा हमेशा तेरे पास ,दीपक की इस लौ मे जलकर …
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
Atyant bhavuk ………
Behad Khubsurat ……………………………..!
बेहद गंभीर भाव
अति सुंदर
dil ko chhu jane wali kavita
Bahut sundar…
बहुत बहुत ही खूबसूरत………….
behad maarmik hai bhaavnaayein……jai hind….jai ho….
Bahut marmik rachana.