अब तो हो गयी है तू तो निहाल करके हाथों को अपने लालमुझे बर्बाद करके, मुझे तू तबाह करके अब तो हो गयी है तू तो खुशहाल लेके पूरे के पूरे सात मुझे बर्बाद करके, मुझे तू तबाह करके अब तो हो गयी है तू तो निहाल……………….होजा बदनाम ना तू कहीं छोड़ आये हैं तेरी गली छुपा के सारे गम आये है होठों पे झूठी मुस्काँ लाये है कहीं तुझपे लगा दें ना इल्जाम कोई शिकवा नही है फिलहाल अब तो हो गयी है तू तो निहाल……………….बैठे तुम बिन हैं तन्हा मगर अश्क अब मैं पियूँगा उम्र भर होने दूंगा महोब्बत ना रुसवा रहेगी ये महोब्बत उम्र भरहर मोड़ पे पाओगी मेरी जान कभी खुशियाँ ना होंगी वीरान अब तो हो गयी है तू तो निहाल……………….भूल जायेगी तू एक दिन वो महोब्बत गली रात दिन मिट जायेगी सब करवटों में गुजरी थी जो जवानी वफ़ा में मेरे दिल की बनेगी तू किताब जिसे पढ़के हो जाऊँ मालामालअब तो हो गयी है तू तो निहाल……………….“मनोज कुमार”
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बहुत खूब……………
बहुत बहुत धन्यवाद बब्बू जी
Very nice…….
Thanks a lot Vivek ji
बहुत ही सुंदर गीत……….. मनोज जी ……..
शुक्रिया काजल जी
बहुत सुंदर गीत ………………….
हार्दिक आभार विजय जी
अति सुंदर ……………………..दीवापली की हार्दिक शुभकामनाये !!
हार्दिक अभिनंदन निवातियाँ जी , आपको भी