कौन सी यह नयी भावना, मन में पाँव पसारे रे |अनकही सी अनछुई सी, जग क्या इसको पुकारे रे |मन का कोई कांच टूटा, आँखें सुनामी लाये रे |कैसा सूनापन नया ये, कोई ज़रा बतलाये रे |एकाकीपन सबको सताता, थे बहुत किस्से सुने |हमने तो वीराने में भी, तेरे ही बस सपने चुने |याद तो अब भी है दिल में, इसमें मगर वो बात नहीं |चाँद में भी दाग दिखते, जब तू मेरे साथ नहीं |
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धन्यवाद | आभार |
बहुत सुन्दर………
धन्यवाद | आभार |
बहुत ही खूबसूरत रचना……………………. ।
धन्यवाद | आभार |
बहुत सुंदर…………………..
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