बीती यादों को दिल मे सँजोते हुएबीते लम्हों को पलकों मे समेटे हुएअपने कारवां से यूं अलविदा कहो न दोस्तों खुश रहो दोस्तोंखुश रहो दोस्तों खुश रहो दोस्तों । नई मंजिल की नई राहों मे जाना है हमें एक नया कारवां फिर सजाना है हमे पथ काँटों भरा मिलेगा तो क्या काँटों से भी गुजर का जाना है हमें हमारे जाने का ग़म न करो दोस्तों खुश रहो दोस्तों खुश रहो दोस्तों । यादें तुम्हारी सहारा बनेगी राहों मे रोशन उजाला बनेगी तन्हाइयों मे जब पुकारेगा दिल यादें महफिल का नजारा बनेगी जिंदगी भर हमें अपना कहो दोस्तों खुश रहो दोस्तों खुश रहो दोस्तों । जीत का जश्न दिल से मनाना मगर हार जाने पे आँसू बहाना नहीं हार मे है छुपी जीत की चाँदनीजिंदगी मे कभी भूल जाना नहीं सारी दुनिया से बस ये कहो दोस्तों खुश रहो दोस्तों खुश रहो दोस्तों । ………………….देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”
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Very nice write Devendra………
जीत का जश्न दिल से मनाना मगर
हार जाने पे आँसू बहाना नहीं
हार मे है छुपी जीत की चाँदनी
जिंदगी मे कभी भूल जाना नहीं
बहुत ही प्रेरणादायी पंक्तियाँ।
प्रेरक रचना….बहुत खूबसूरत………
very nice sir………………………..
बेहतरीन रचना………………..अति सुंदर पंक्तियाँ……………
मेरी दो रचनाएँ आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हेतु प्रतीक्षारत हैं. कृपया पढ़कर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
“काश ! चाँद छिपता चांदनी के बिन…” और “वक़्त जो थोड़ा ठहरता…”
बहुत ही खूबसूरत…………….. ।