“जमाने भर की खुशी देने का वादा किया था मैंने एक मुस्कान भी उसके होठों पे ला नही पाया कभी “ए जिंदगी तुझको तेरी खुशियाँ मुबारक हो मेरे लिए ग़म के सहारे बहुत हैं । दुनियावालों के दिलासों पर भरोसा नहीं मुझको इनके रहमो ने उजाड़े आशियाने बहुत हैं । मेरे हमराज़ तुझे इस हाल मे तड़पता छोड़ दूँ कैसेतुझसे मेरी उलफत के फसाने बहुत हैं । चाँदनी साथ न दे भी तो कोई बात नहीं मेरे दामन मे चमकते सितारे बहुत है। ………………..देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”
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Devendra, always there are serious emotional traces in your work. Good work.
खूबसूरत…………..
बहुत ही बढ़िया . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . विनीत जी !!
खूबसूरत रचना…………………….
अति सुन्दर देवेंद्र ……..!!