देश का बुरा हाल है
हर किसी की ज़ुबाँ पर बस यही सवाल हैकरने वाले कह रहे, देश का बुरा हाल है||नेता जी की पार्टी मे फेका गया मटन पुलावजनता की थाली से आज रूठी हुई दाल है||राशन के थैले का ख़ालीपन बढ़ने लगाहर दिन हर पल हर कोई यहाँ बेहाल है||पैसे ने अपनो को अपनो से दूर कर दियाग़रीबी मे छत के नीचे राजू और जमाल है||आंशु बहा-बहा कर भी थकता कहाँ है वोये ग़रीब की अमीर आँखो का कमाल है||
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Beautifully written…………
thanks a lot for ur comments…
LOVELY CREATION ……………..!!
Aabhar nivatiya ji….
बहुत सुंदर………..
sukriya aapka…
खूबसूरत रचना……………………..
Vijay ji aabhar aapka…
बहुत ही सुंदर………… लय भी लाजवाब……
Kajal ji , aabhar aapka………