दिवाली कैसे मनाऊँ ……?उस वीर जवान की माँकह रही ईश्वर सेजब दिवाली से पहलेबुझ गया घर का दीपकतो मैं दीप कैसे जलाऊँकोख सूनी हो गई मेरीतो मैं दिवाली कैसे मनाऊँ ?बेटी कहती पापा सेतुम कहाँ चले गएकौन लायेगा अबपटाखे और दीयेअब मैं कैसेपटाखे ,फुलझड़ी जलाऊँगीपापा , बिन आपकेमैं, दिवाली कैसे मनाऊंगी ?बेटा कहता है पापा सेमैं दुश्मनो को सबक सिखाऊंगामैं अब रॉकेट नहीँपाकिस्तान को बम से उड़ाऊंगापापा बिन आपकेमैं ,दिवाली कैसे मनाऊँगा ?पति के विरोह मेंपत्नी नम आँखों से कहती हैजिन हाथो से चूड़ी बिखर गएउन हाथो से रंगोली कैसे बनाऊँबिन साजन केमैं,घर को कैसे सजाऊँजिनके बगैर एक पल भीजीना था मुश्किलमैं,उनके बिनादिवाली कैसे मनाऊँ…… ?पियुष राज ,दुधानी,दुमका ,झारखण्ड ।(Poem.No-33) 23/10/2016Mob-9771692835
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बहुत ही मर्मस्पर्शी कविता है आपकी पियूष। बहुत कम उम्र में ही इतना अच्छा लिख रहे है आप, मेरी शुभकामना है कि आप बहुत ऊँचा जाएंगे। बहुत अच्छे पियूष।
बहुमूल्य प्रतिक्रिया और मनोबल बढ़ाने के लिए आपका बहुत -बहुत धन्यवाद्,,,,,,,,,,,
बहुत ही भावुक रचना लिखी है आपने…….. ये सत्य है उन शहीद जवानों के परिजनों के लिए….. उन जवानों को मेरा नमन ।
Nice thought Piyush Raj….