कसम खाओ अब इंडियावालो,खुशियों के दीप जलायेंगे,चीन माल का बहिष्कार करके,उनको ठेंगा दिखलायेंगे,हमारी दीपावली अच्छी हो,इसके लिए लोग मिट्टी के दिए बना रहे,हमारी खुशियों की खातिर,वो अपना पसीना बहा रहे,आओ हम सब मिलकर,उनकी भी ख़ुशी बढ़ायेंगे,उनसे ये सामान खरीदकर,उनकी भी दीवाली उत्तम बनाएंगे,देश के हर कोने कोने में हम,आशा का दीप जलायेंगे,अपने देश की परंपरा का मान,फिर से आज बढ़ायेंगे,कसम खाओ अब इंडियावालों,खुशियों के दीप जलायेंगे।।By:Dr Swati Gupta
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It is important that local materials are used in our festivals to support economic development of weaker sections. Good thoughts Dr. Swati
Bahut sunder message…….bahut badiya Swati ji
सही बिलकुल…….बेहद ख़ूबसूरत……….
बहुत खूबसूरत …….काश सभी इस बात को समझे …………..अपितु हमे पहले आयत बन करना चाहिये…….वरन हानि तो दोनों ही स्वरुप में व्यक्तिगत है, आयात माल न बिका तो व्यापारी वर्ग की हानि…….स्वदेशी न बिका तो साधारण जन की मेहनत हो जाती पानी पानी !!
बेशक हमे स्वदेशी को बढ़ावा देना चाहिए विशेषकर जन साधारण को जो अपने हाथो से सामान तैयार कर परंपरा और संस्कृति को ज़िंदा रखे है !! पुनः बधाई हो आपको !!
बेहद ख़ूबसूरत………………………..