सब लगे है अपने अपने धर्म को बचाने में,इंसानियत कहाँ गुम किसी को खबर नहीं,पूछ लो किसी से किसी की हाल ऐ जिंदगी,झट से बता देंगे, पर खुद की खबर नहीं,जाने कैसी हवा चली है ज़माने में हर तरफ,महकशी छोड़ कर लोग खून पीने लगे है,अपनों में और गैरो में कुछ ज्यादा फर्क नहीं, धीरे धीरे रिश्ते हर किसी के खत्म होने लगे है,इंसान का कुछ ना था कुछ ना होगा इस जग में,जन्म दूसरे ने, नाम दूसरो ने, औरो ने जला दिया,खाली हाथ आया था और खाली हाथ चले जाना,फिर जाने क्यों “मनी” हर किसी ने घमंड कमा लिया
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Good thoughts Maninder……..
thank you so much sir………………….
बहुत खूब……………………
thank you so much sir…………….
Bahut hi sundar aur sateek rachna..Sir!!!
thanks dr swati ji…………………
Wonderful thoughts. …weldome
thank you sir……………..
बहुत खूबसूरत मनी बेबाकी से रची गयी दमदार रचनात्मकता !!
बहुत बहुत शुक्रिया निवातिया जी इस स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए…….
बेहद खूबसूरत…………
thank you so much c m sharma ji……..
बहुत खूबसूरत मनी जी
thank you sir ………………….