जब भी तुम्हारी चाहत में मै हद से ज्यादा डूब जाता हूं।कोई नयी पंक्ति की धुन को जब जब भी तुम्हे सुनाता हूँ।जब भी तुम सुनते-सुनते हँस कर चुप हो जाते हो।हाल ए दिल बतलाने में जब भी तुम शर्माते हो।अपनी भावनाओ की हलचल भी मुझसे तुम पूछ जाते होसाथ में जीवन बिताने का जब सपना तुम फरमाते हो।तब आँखों में देखता हूं और तुम्हे सताना भूल जाता हूं।मेरी रूह में उतरती हो ,और जमाना भूल जाता हूँ।
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very nice…….
Dhanyabaad aapka
बहुत अच्छे श्री प्रेम कुमार जी…
lovely creation