हिंदुस्तान हाथ जोड़कर विनती करता हूँ मैं कृपानिधान , खुश रहे मेरा हिंदुस्तान ,खुश रहे मेरा हिंदुस्तान ।आँगन में हो अमन चैन खेतों में चुनर धानी ,हर बचपन खिल उठे बुलंदी पर हो इसकी जवानी ,संस्कार विश्वास समर्पण की बहती हो गंगा ,गीता और कुरान के हाथों में हो सजा तिरंगा ,सुर कबीरा तुलसी मीरा के संग हों रसखान —–खुश रहे मेरा हिंदुस्तान ——दहशतगर्दों की नस्लों को खाक में चलो मिलाएँ ,नफरत की जलती ज्वाला को प्यार से अभी बुझाएँ ,आध्यात्म ज्ञान विज्ञान योग की बरसे अमृत धारा ,बेटी बेटा मिलकर चमकें जैसे कोई सितारा ,कोयल मोर पपीहा करते माटी का गुणगान ——–खुश रहे मेरा हिंदुस्तान —–अपने लहू से जिस माटी को बीरों ने है सजाया ,विजय पताका इस त्रिभुवन में भारत का लहराया ,कसम खा रहे भारत माँ का आन न झुकने देंगे ,प्राण चले जाएँ फिर भी सम्मान न झुकने देंगे ,बीर जवानों संग तुम्हारे सारा हिंदुस्तान ————खुश रहे मेरा हिंदुस्तान ————-
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Bahut hi umda bhav……..bahut badiya…….
आप लोगों की दुआओं का असर है । धन्यवाद
देशभक्ति से भरपूर रचना…..बहुत बढ़िया…..
हार्दिक धन्यवाद
बहुत अच्छे श्री विश्वकर्मा जी…
अति सुन्दर …………….!!