वो मेरा है उसने कहाबार बारकई बारकभी गीत गज़लकभी गुलाब लिएकभी अलंकरण कभी प्रेम की किताब लिएमेरी ज़ुल्फ़ों को घटाचेहरे को कमल कहतामैं जो हँस दूं बहारों को मुकम्मल कहता प्रेम की बारिशों में बूँद बूँद बरसा हैमेरी ख्वाहिश मेंहर दिन हर लम्हा तरसा है।आज जबकि मैउसकी हूँ वो मेरा हैजाने क्यों खाली है इमारतऔर अँधेरा हैशामिल है,हासिल हैपर वो एहसास नही हैवो है उसका “वक़्त” मेरे पास नही है।
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जीवन के उतार चढ़ाव, वास्तविकता का सुन्दर और सजीव चित्रण, सुन्दर कविता बधाई।
Beautiful…………………!!
Bahut khoobsoorat……..
Marvellous write. …………