दरख्त मिटे गए मिटा परिंदो का आशियाना खेत खलिहानों को मिटा, बना लिया घराना इस कदर विकास हावी हुआ इस जमाने में पशु पक्षी दूजे से पूछे, कहाँ है मेरा ठिकाना !!!!!डी के निवातियाँ [email protected]
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very true sir………………………..
Thanks Mani Ji.
Very well expressed………
Many Thanks Shishir Ji
सच्चाई बयाँ करती बेहतरीन रचना निवातियाँ जी
Thanks Manij Kumar !!
आजके परिपेक्ष में कटाक्ष करती वन्य जीवन की दुर्दशा ब्यान करती……लाजवाब…..
तहदिल से शुक्रिया आपका बब्बू जी !
अति सुंदर……………..
धन्यवाद विजय जी !!
Wah Sir!!! Very nice????
शुक्रिया स्वाति जी !
बहुत खूब निवितिया जी कमाल कर दिया आपने कम से कम शब्दो में बहुत ही अच्छी बात कही है आपने l
अमूल्य प्रतिक्रिया के अनेको धन्यवाद राजीव जी !