तय किया है ये अब मैंने कि तुमको ठीक करना हैनहीँ तो साथ तेरे रह कर यहाँ क्यों बेमौत मरना हैजिनसे प्रेम है तुमको उन्हीं के नज़दीक तुम जाओखूब सेवा करो उनकी और भक्ति गीतों को गाओहर क्षेत्र में मुझको ही जो हरदम नीचा समझता होऐसे साथी के साथ कोई भी सफल हो नहीँ सकता जिसके दामन में मेरे लिए सिर्फ चुभते वे काँटे होबीज कुसुमो के मेरे लिए कभी वो बो नहीँ सकतागलतियां हो गई अब क्या करे बस सुधार करना है या बेबस बने रहकर बस हरदम घुट घुट के मरना हैचलो ढूँढे अब वो साथी जो मुझ पर नाज़ करता होजिसकी धड़कन में मेरा नाम ही आवाज़ करता होशिशिर मधुकर
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Wah Sir!! Very nice????
Thank you Dr. Swati for your words
नहीँ तो साथ तेरे रह कर यहाँ क्यों बेमौत मरना है..!
क्या बात है सर..बहुत ही बढ़िया….! धन्यवाद…
Hearty thanks DAVE JI ……
Bahut achchha sir ,
Thanks a lot Bindu ji ……..
बेहतरीन रचना………………………………
Hearty thanks VIJAY….
bahut hi uttam sir…………………
Thank you very much Maninder
बहुत खुबसूरत भाव सम्प्रेष्ण शिशिर जी
Hearty thanks Surendra
गम….गुस्सा….प्रतिशोध…..क्यांकहूँ जज़्बात को उतार कर रखने का लाजवाब अंदाज़…..
Thanks Babbu ji for your precious words.