नमन शहीदे-ए-आज़म तुम्हे ,जो लहू से इस देश को सींच दिया ।बेहरी अंग्रेजी हुकूमत को ,बम धमाके से हिला दिया ॥इंकलब का नारा अस्सेम्ब्ली से देश भर मैं गुंजा दिया ।ए सरफरोश तेरी मौत ने,मुझे जीना सीखा दिया ॥जिस्म पर कोडे पड़े कितने,जख्मों पर नमक तक रगड़ दिया ।हँस-हँसकर सहें हर सितम,पर चीख ना निकलने दिया ॥बेहते हुए खून से तूने तब भी हिन्दुस्तान जिन्दाबाद लिख दिया ॥ए सरफरोश तेरी मौत ने,मुझे जीना सीखा दिया ॥सरहद के भेडियों से लड़ने माँ ने भगत सिंघ को भेज दिया ।जाते-जाते मर-मिटाने का वादा माँ से कर दिया ॥सत-सत नमन जननी तुम्हे जो वतन की राहों मैं अपना लहू कुर्बान कर दिया ।ए सरफरोश तेरी मौत ने,मुझे जीना सीखा दिया ॥ -विक्रम जज्बाती
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अमर शहीद भगत सिंह को नमन करती अच्छी रचना
बहुत ही बढ़िया, श्री विक्रम जी… धन्यवाद…
बेहतरीन रचना है………………..बधाई.
मेरी एक रचना “शराब (गजल)” आपकी नजरों की प्रतीक्षा में है पढ़कर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
आप सभी का धन्यवाद