हे प्रभु हम भारत वासीयों पर अपनी एक कृपा कर दोसुप्रीम कोर्ट के जजों के घर में सारी परेशानियों भर दोतब कम से कम जनता की पीड़ा का संज्ञान ये लें लेंगेहो सकता है बाकी जीवन हम भी खुशियों में जी लेंगेशिशिर मधुकर
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हाहाहा बहुत खूबसूरत ……….!!
हाहाहाहा……………ये तो बहुत ही सुंदर रचना लिखी है आपने. बेहतरीन………………बधाई.
आपने जिन आदरणीय के बारे में लिखा था उसी को लेकर ऐसा कमेंट हुआ.
Wah madhukar sahab aap ne judgment par kada prahar kiya hai bahut achhey.
very nice sir………………………….
आने जज़्बात को अपने अंदाज में रखा है……पर संज्ञान लें किस का……अपना ….हमारा….हमारा लेते हैं जिस किसी को अच्छा नहीं लगता वो नहीं मानता….तो अपमान….अपना हर कोई लेने का हौसला नहीं रखता….दूध का धुला तो कोयी नहीं है….उनकीं बात छोड़ दें हम खुद ही अपने कामों के जज नहीं हो सकते क्या…. हो सकते हैं पर क्या संज्ञान लेते हैं हम…….
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बहुत सटीक व्यंग और चोट, बधाई आपको
सच है जब तक कोई खुद परेशानी से रूबरू न हो उसे दुसरो की परेशानी का आभास नहीं होता
Friends , my this write was inspired by the recent news when Supremem Court took cognizance of chikenguniya and dengu menace in Delhi-NCR after one of its judges Justice Chandra Chood fell ill and was required to be hospitalized. When they were themselves hitted they issued notice to loud mouth Delhi Givernment.