‘अ’ से अमरूद ‘आ’ से आमरघुपति राघव राजा राम।।करते जाना अच्छे कामइक दिन होगा तेरा नाम।।’इ’ से इमारत ‘ई’ से ईखदेख छिपकली निकली चीख।अच्छी बातें जाओ सीखयाद रखो सब दिन तारीख।।’उ’ से उजाला ‘ऊ’ से ऊनगरमी माह मई औ जून।तपती धरती तपता खून।ठंडक मिले देहरादून।।’ऐ’ से ऐनक ‘ए’ से एकपढ़ लिख कर बन जाओ नेक।गुरु चरणों में माथा टेकबढ़ जायेगा बुद्धि-विवेक।’ओ’ से ओखल ‘औ’ से और दूध भात का मीठा कौर।सुबह शाम खाने का दौरघर आँगन हम सबका ठौर।।’अः’ को छोड़ो ‘अं’ से अंगनाचो गाओ मेरे संग।सीखो नित तुम अच्छे ढंगकमजोरों को करो न तंग।(चौपई छंद)!!!!!!सुरेन्द्र नाथ सिंह ‘कुशक्षत्रप’
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सरल एवं सहज सब्दो के माध्यम से भावो का सम्प्रेषण प्रस्तुत करना आपके प्रबुद्ध शिक्षक होने का उम्दा प्रमाण है ………परिपाटी से पृथक रचनात्मकता आपकी विशिष्टता को दर्शाती है …………बहुत बहुत बधाई आपको !!
धन्यवाद…………….. आदरणीय निवातिया जी
bahut hi umda sir………………………
आभार मनिंदर जी…………………………..!
A great learning creation, Surendra. Such tools are really extremely useful in remembering concepts.
ह्रदय से आभार आदरणीय शिशिर सर
ह्रदय से आभार आद0 काजल जी
काबिले तारीफ…………. बहुत ही बेहतरीन बाल कविता सुरेंद्र जी।
लाजवाब कलम से लाजवाब रचना…….जो एक बेहतरीन शिक्षक कि ही सोच हो सकती…….
ह्रदय से आभार बब्बू जी……………….