उन बन्धनों को तोड़ना
मुश्किल नहीं होता
जो झूठे होते हैं
चाहें वो प्रेम के हों
या हृदय के जज्बात के ।
ये तो मोम के बन्धन होते हैं
जो थोड़ी सी आँच से ही
पिघल जाते हैं ।
उन बन्धनों को तोड़ना
मुश्किल होता है
जो सच्चे होते हैं
चाहें वो हृदय के जज्बात के हों
या प्रेम की सौगात के ।
ये बन्धन तो सागर की
गहराई जैसे होते हैं
जिनका थाह भी नहीं लगा पाते हैं ।।
-आनन्द कुमार
हरदोई (उत्तर प्रदेश)
Very beautiful write Anand………..Filled with emotions.
Thank you! !!!! very much ‘madhukar’ sir.
Bandhan – bahut achhi rachna hai anand jee.
Thanks! !!!!! ‘sharma’ sir. ….
bahut acche sir…………………………..
Thanks! !!!! ‘mani’ ji…….
अति सुंदर भावों से सजी सुंदर रचना.
dhanyabad !!!!! ‘vijay’ sir…..
अत्यंत खूबसूरत विचार …………..बहुत अच्छे !!
Bahut Bahut aabhar ‘D K’ sir…
बहुत ही सुंदर…………………. आनंद जी ।
Thanks! !!!! kajal ji. ….