हर एक गम को मुसकराहट में छिपा लेता हूं मै,जब भी कभी मुशकिल में होता हूं तो मुसकुरा लेता हू मै.ये ही तो जिनदगी को जीने का अनदाज है मेरा,तभी तो सबकी खुशी में हसतां और मुसकुरा लेता हू मै.काश की मेरी भी जिनदगी किसी के काम आ जाए .ये ही दुआ खुदा से हर रोज मांग लेता हूं मैं.इसी उमीद मे कि कब जिनदगी की आखिरी शाम आ जाए,हर एक लमहें को खुशी से जीता और मुसकुरा लेता हूं मै.हर एक गम को मुसकराहट में छिपा लेता हूं मै,जब भी कभी मुशकिल में होता हूं तो मुसकुरा लेता हूं मैं……..
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वाह बहुत खूब…..
बेहतरीन कोशिश……………………… आदरनीय योगेश जी लगे रहिये
Nice thoughts…………..
bahut sundar…………..
सुंदरभावों के सजी रचना………………….बहुत खूब ………………….
मेरी रचना “शराब (गजल) आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में है. एक बार पढ़ें और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
बहुत सुंदर रचना………… योगेश जी ।