तुमको महोब्बत वापस लाकर रहेगी गुल फिर खिलायेगी मिलाके रहेगी हमको भूलकर खुश तुम रहना सकोगे तुमको तो विरह मेरी रुलाती रहेगीजी ना सकोगे हाँ तुम सो ना सकोगेतुमको तो मेरी याद जगाती रहेगीकैसे रहोगे तुम जुदा मुझसे होकर तुम्हें खुशबू मेरी तड़पाती रहेगी मन की तरंग तेरी रोक नही पायेगीरह रह क मेरी और रिझाती रहेगीकशिश मेरे होठों की भूल नही पाओगे जायेगी ये बोझ बन तुम्हें प्यास रहेगी सपने दिखाके ना फिर नजरें मिलाओगे उठेगी नजर ना फिर गिरती रहेगीजहाँ तुम जाओगे वहीं मुझे पाओगे सजनी ये पहचान ही कराके रहेगी “मनोज” तुम्हें आना फिर आना पड़ेगा अपनी दिल्लगी थोड़ी इज्जत तो रहेगी “मनोज कुमार”
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Nice sentiments Manoj…..
thank u very much Shishir ji
bahut khoobsoorat………………
thanks……….. Babu Ji
very nice………………..
many many thanks for your comment mani ji
सुंदरभावों के सजी रचना………………….बहुत खूब ………………….
बहुत बहुत धन्यवाद विजय जी
Very nice ………… Manoj ji
many many thanks for your comment Kajal Ji
वाह! शानदार । सादर नमन !
रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार अभि जी
ह्रदय की भावनाओ का खूबसूरत चित्रण …………..अति सुन्दर मनोज !!
कोटि कोटि धन्यवाद रचना नजर करने के लिये निवातियाँ जी