कारगिल, पैंसठ, इकहत्तर वाली विजयऔर हो रहीं हैं गुम शौर्य की निशानियाचार सूअरो के बदले में सत्रह शेर स्वाहाफ़िर से गढ़ी गयीं कलंक की कहानियाँअब तो आदेश देदो, हो जाने दो आर-पारपरमाणु बन जाएँ, खौलती जवानियाँजंजीरों में जकड़े जवर को जमानत दोघाटी में उतार दो पुरोहित, पठानिया कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”9675426080
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