जब कभी मैं अकेलापन महसूस करता हूँ,
बस पुराने दिनों को याद किया करता हूँ,
याद किया करता हूँ उन दिनों को,
जो मेरी जिन्दगी के हसीन दिन थे,
वो भी क्या दिन थे, जब हम साथ हुआ करते थे,
अब तो आलम कुछ ऐसा है के,
भीड़ में भी तन्हा महसूस करता हूँ,
याद आते है वो पल, जब कभी मैं खुल के मुस्कुराया था,
याद आती है दोस्तों की वो पुरानी बातें,
वो बेमतलब की बातें,
जिन्हें करने में हम घंटो लगा देते थे,
जो बातें हमारी पढाई से भी ज्यादा जरूरी थी,
जिन्हें करने में हम खाना खाना तक भूल जाते थे,
याद आती है अब भी वो बातें…
शीतलेश थुल !!
खूबसूरत भावों से सजी रचना………..
बहुत बहुत धन्यवाद विजय जी।
Beautiful Sheetalesh. Absence of those bematlab ki baaten is the real loss. May someone return all those days.
Thank you very much Sir for your lovely comment…………………
अच्छी व्यवहार-कुशलता का उम्दा उदहारण ……………अति सुदंर !!
आपकी इस खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिये सहृदय धन्यवाद निवातियाँ साहब।
बेहतरीन………………………..आप हुनरमंद है इस विधा में आदरणीय
आपका तहे दिल से आभार कुशक्षत्रप साहब। बहुत बहुत शुक्रिया।
बेहतरीन……………
बहुत बहुत धन्यवाद काजल जी।
Behad khoobsoorat………
बहुत बहुत धन्यवाद शर्मा जी।