जिन्दगी के हर एक पहलू से
गुजरना पड़ता है ,
इन पहलुओं से वाकिफ़
नहीं होता इन्सान ,
पर इसकी हर एक छटा को
निहारना पड़ता है ।
न मानो तो किसी मंजिल पर
चलकर देखो
मंजिल तो आसां नही होती ,
पर इसी पर चलकर ही
अपने कदमों की पहचान
होती है ।।
– आनन्द कुमार
हरदोई (उत्तर प्रदेश)
Har manjeel aashan nahi hota par uspe chalna aur bhi kathin hoti hai , jiskey man main biswash hai wah manjeel ko choo leta hai . achchhi rachna . kuch dusaron ki rachna bhi padhiye.
खूबसूरत भावों से सजी रचना………..
आपकी नज़रों की प्रतीक्षा में “शराब (गजल)” है. अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
धन्यवाद! !!!!!!! श्रीमान…….
Thanks! !!! Sir. ……..
सुन्दर…………………….
Thanks! !!!!!!! Aditya sir…
आनन्द जी जिन्दगी के पहलू को छूने का भरसक प्रयास किया है आपने। बहुत खूब ………………….
Thanks! !!!! seetlesh ji. ..
Nice expression of thoughts Anand ……..
Thank you !! very much ‘madhukar’ sir. …
सत्य वचन ………..बहुत खूबसूरत भाव !!
बेहतरीन आनंद जी, एक एक शब्द मोती
मेरी रचना “किनारे रक्स करते है” पढ़े और प्रतिक्रिया दीजिये
बहुत ही खूबसूरत ………….. आनंद जी ।
बहुत खूब…………
app sabhi ko tahe dil se shukriya…….