ना पूछो यारो मुझ से मेरा ठिकाना देश का वीर हूँ हर छोर मेरा घराना रण, थार, पठार सियाचीन की बर्फ जंगलो की झाडी अपना सिरहाना ।।!!!!!!(डी के निवातियाँ)
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वाह! शानदार । सादर नमन !
Bahut hi umda lafzo Mein saty baat ek siphi ke jiwen ke baare mein
bahut khubsurat D K Sahab.
बहुत सुंदर………….
अति मधुर,……..
बहुत सुंदर रचना सर…….
बहुत सुंदर मुक्तक
बहुत सुंदर………………………………
बहुत खूब बेमिसाल रचना निवातियाँ जी
bahut khubsurat
बेहतरीन कड़ी चल रही है………
बहुत ही बेहतरीन………….. निवातिया जी ।
लाजवाब………बेमिसाल……….
देश भक्ति रचना रंगमय. ….सुन्दर
Marvellous ……………………
अत्यन्त सुन्दर………………., देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत रचना .