फूलो में खिलता गुलाब तुम
कलि में झलका निखार तुम
बागो में छाई कोई बहार तुम
सितारों में चमकता चाँद तुम
जवाँ हुस्न निखरा शबाब तुम
बहकी अदाओं की शराब तुम
नशीली अदाओं की कटार तुम
शोलो में जो दहके वो आग तुम
कवि की कल्पना का सार तुम
शायर का अनकहा कलाम तुम
सरगम से निकली सुर ताल तुम
बंदिश पे बजता कोई साज तुम
सागर में ढलती कोई शाम तुम
मद से भरा छलकता जाम तुम
जैसे चन्दन से लिपटा साँप तुम
नींद में देखा हो कोई ख्वाब तुम
बिना उत्तर का जैसे सवाल तुम
असुल्झी पहेली का जबाब तुम
किसी के चहरे का रुआब तुम
धड़कते अरमानो का हवाल तुम
मचलती हवाओं का हो राज़ तुम
किसी की जिन्दगी का आज तुम
पहली किरण का हो आगाज तुम
चहकते पंछियों की आवाज तुम
मेरे हरपल हर लम्हे का अंजाम तुम
मेरा भूत, भविष्य और वर्तमान तुम
मेरी हर साँस हर धडकन का नाम तुम
मेरी हर ख़ुशी हर गम की पहचान तुम ।।
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डी के निवातियाँ——–
कमाल कर दिया आपने निवातियाँ साहब। मन मस्त मगन बस तेरा नाम दोहरायें …………………
आपकी मंत्रमुग्ध कर देने वाली खुबसूरत प्रतिक्रिया का अनेको अनेको धन्यवाद शीत्लेश।।
वाहहहहहह शानदार सृजन आदरणीय सादर नमन
रचना पसंद कर ह्रदय को प्रसन्न कर देने वाली प्रतिक्रिया का तहदिल से शुक्रिया अभिषेक ।।
Bahut hi sundar kavya sanyojan…..
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रचना पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आनंद आपका ।।
हर लब्ज मोती हर कथ्य पूर्ण
हर सोच में विराजमान तुम
शब्द चयन करती पारखी नजर
साहित्य का नव विहान तुम
उगते सूरज को नमन करते सभी
रस्मि किरण लिए दिव्य्मान तुम
मै अकिंचन मै अज्ञानी शब्द विहीन
पर अथाह शब्दों का ज्ञान तुम
आदरणीय श्रीमन निवातियाँ जी छंद पन्क्तियो से आपका सादर अभिवादन संग अपनी प्रतिक्रिया आपके समक्ष रखता हूँ
आपकी बेमिसाल होसला अफजाई का ह्रदय से धन्यवाद आप ही के अंदाज में—->
शब्द शिल्प का भण्डार तुम
ज्ञान से परिपूर्ण विद्वान तुम
लफ्जो से बाँटते प्यार तुम
ऐसे ही बढ़ाते रहो मान तुम ।।
आपके स्नेह का पुन धन्यवाद ।।
What a colourful poem ? Beautifully written…………………….
खुबसूरत प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आपका ।।
Beautiful sentiments ……….
खुबसूरत प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आपका ।।
Beautiful……………………………..
खुबसूरत प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आपका ।।
क्या कमाल है लफ़्ज़ों का……….वाह …….लाजवाब….. चाय की चुस्की के साथ…..
आपकी बेमिसाल बेशकीमतीखुबसूरत प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आपका ।।
बहुत ही बेहतरीन………….. निवातिया जी ।
पर एक जगह आपने कहा ” चंदन में लिपटा सांप तुम ”
सांप क्यों ?
बहुत खूबसूरत प्रश्न किया आपने काजल इसके लिए आप बधाई के पात्र है…………बहुत बहुत धन्यवाद आपका !!
एक कवी के कल्पित भावो और सर्जनात्मकता के स्वरुप इसका वैज्ञानिक तर्क भी है की ….सर्प शारीरिक ताप से बहुत ही गर्म होता और चन्दन शीतलता प्रदान करने वाला सबसे उत्तम साधन … इसलिए सर्प प्रायः चन्दन से लिपटे पाये जाए है !!
Snakes can’t control their tempretures all by themselves.. They’re cold blooded, so they have to rely on shades, waters, trees and sun, sand etc to maintain their temperatures…
Sandalwood tree is cooler than its surroundings. So if a snakes feels too hot, it comes on the sandalwood tree…!!
पुनःधन्यवाद आपका !!
प्रेम से ओतप्रोत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति। बधाई डी के निवातियाँ जी।
आपकी अमूल्य प्रतिकिया का अनेको अनेको धन्यवाद डॉ साहब ।।
मन्त्रमुग्ध करती रचना……………..!!
खुबसूरत प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आपका ।।
सुन्दर भाव अभिव्यक्ति निवातियाँ——
खुबसूरत प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आपका ।।
sorry सुन्दर भाव अभिव्यक्ति निवातियाँ जी
खुबसूरत प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आपका ।।
सरगम से निकली सुर ताल तुम
बंदिश पे बजता कोई साज तुम
बहुत अच्छे…! धन्यवाद ।
खुबसूरत प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आपका ।।
शब्दों के जादूगर हो तुम (आप )…..बहुत बढ़िया.
खुबसूरत प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आपका ।।