
झूठे आश्वाशन दिलाकर, मांगते हो तुम वोट,
मिल जाये जब कुर्सी तुमको, भरने लगते हो तुम नोट,
देश-सेवा की शपथ खाकर, मन में रखते हो तुम खोट,
जिस थाली में खाया करते, वही करते हो तुम चोंट,
धोती कुर्ता छोड़ के, पहनने लगे हो तुम कोट,
फिर भी कहते रहते हो, हमे ही दीजियेगा वोट…
शीतलेश थुल
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक जी।
यथार्थ से परिपूर्ण खूबसूरत कटाक्ष ……………अति सुन्दर शीतलेश !!
बहुत बहुत धन्यवाद निवातियाँ साहब।
अति सुंदर रचना है.
एक बार शराब (गजल) पढ़कर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
लंबे समय से आपकी नज़रों की प्रतीक्षा में है.
बहुत बहुत धन्यवाद विजय जी। एक लंबे अंतराल के बाद आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। पाकर अत्यंत प्रसन्नता हुई।
बहुत ही सुंदर………… नेताओं की खोल रहे हैं आप पोल…..
हा हा हा……………….बहुत बहुत धन्यवाद काजल जी।
Fit for fake netas
Thank you very much Shishir Sir…………..
नेताओ की फिदरत ही ऐसी है गैर तली के पैदे…
मैं आपकी प्रतिक्रिया से पूर्णतया सहमत हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद आकांक्षा जी।
सभी नेता ऐसे नहीं सर जी, और राजनीति की अपनी कुछ विवशता भी होती है। वैसे आपकी रचना व्यंग रूप में बेहतरीन आदरणीय शित्लेश जी
सत्य कहा आपने कुशक्षत्रप साहब। “100 में से 99 बेईमान , फिर भी मेरा देश महान। ” आपकी इस खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिये सहृदय धन्यवाद कुशक्षत्रप साहब।
बहुत सुंदर कटाक्ष………….
बहुत बहुत धन्यवाद शर्मा जी।
Nice one…Thanks..
It is my great honor to get first positive feedback from your side . Heartily Thanks Markand Dave Sir…..