अशन की दौड़ में, बाँझ हुआ इन्सान भी, शहर भी,
इन्सान की खोज में, बाँझ हुआ, खेत भी, खलिहान भी..!
अशन = रोटी,भोजन;
खलिहान = जहाँ फ़सल काटकर रखी जाती है;
बाँझ = उपज न होना; संवेदना शून्य;
अशन की दौड़ में, बाँझ हुआ इन्सान भी, शहर भी,
इन्सान की खोज में, बाँझ हुआ, खेत भी, खलिहान भी..!
अशन = रोटी,भोजन;
खलिहान = जहाँ फ़सल काटकर रखी जाती है;
बाँझ = उपज न होना; संवेदना शून्य;
चंद लफ़्ज़ों में सब कुछ ब्यान कर दिया….वाह…..बेहतरीन………..
धन्यवाद श्री शर्मासाहब…
हर बार की तरह बेहतरीन…………….
धन्यवाद श्री सुरेन्द्र नाथ सिंह जी…
very nice.Markand DaveJee.
धन्यवाद श्री डॉ.साहब
बहुत खूब कहा दवे जी………
धन्यवाद सुश्री काजल जी…
अति सुंदर रचना है. एक बार शराब (गजल) पढ़कर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
धन्यवाद श्री विजय कुमार सिंह जी..
अति सुन्दर सर्जनात्मकता …………..बहुत अच्छे द्वे जी !!
धन्यवाद श्री निवातियाँ जी…
Beautiful. There is no life without sentiments.
धन्यवाद श्री शिशिर जी…