संग संग यूँ चलूँ तेरे बन जाऊं तुम्हारी मै परछाई
प्रीत तुम्ही से हर गीत तुम्ही से
तुम ही हो मेरी ज़िन्दगी के सौदाई
हाथ मेरा यूँही थामे रखना जब भी सुबहें ले अंगडाई
निगोड़ी रातें भी है कटती नहीं याद तुम्हारी जब जब आई
पूछे ये छन-छन करती पायल मुझसे
ये नींद तुम्हारी है किसने चुराई
शर्मा गयी झुक गयी नजरें मेरी
दिल में था नाम तुम्हारा पर बात लबों पे वो कहाँ आई…………
बहुत बढ़िया……………………………….
Thank you so much…
Feelings Beautifully expressed
Thank you sir…
बहुत ही सुन्दर……………
Thank you so much….
Shrija jee bahut khoob .
Thank you so much sir….
श्रीजा जी बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में आपने जज़बातों को बयान किया है।
प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका…
बहुत ही सुंदर रचना ………………..
Thank you kajal ji…
अति सुंदर रचना है. एक बार शराब (गजल) पढ़कर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
Definately sir….. thank you so much…
अति सुन्दर ………………..!!
Thank you sir….