वो आएंगे, सुना है आज आएंगे।
कर लू मैं सोलह श्रृंगार, सज-धज हो जाऊं भी तैयार,
फिर मेरे आँगन , दीप जगमगाएंगे।
वो आएंगे, सुना है आज आएंगे।
नैनो में काजल की हलकी सी धार, माँथे पे बिंदीया भी चमकदार,
फिर मेरे हाँथ, चूड़ियाँ खनक़ाएंगे।
वो आएंगे, सुना है आज आएंगे।
गले में पहनू नौ-लख्खा हार, कानों के झूमके भी जोड़ीदार,
फिर मेरी नथनी , उनका ध्यान भटकाएँगे।
वो आएंगे, सुना है आज आएंगे।
होंठों की लालिमा कर गुलजार, मांग सिन्दूर भी पहरेदार,
फिर मेरे पैर , पायल छनकाएंगे।
वो आएंगे, सुना है आज आएंगे।
देख लू दर्पण खुद को निहार,
देखू उतना, जैसे देखा है अभी पहली बार।
फिर मेरी धड़कनें, प्रेम गीत सुनाएंगे।
वो आएंगे, सुना है आज आएंगे।
शीतलेश थुल
सज्जाद हुसैन साहब के music composition पे शमशाद बेगम द्वारा गाये गये गीत में से एक पंक्ति “वो आएंगे , सुना है आज आएंगे ” मैंने चुनी है। बाकी अपने शब्दों से गीत को सजाया है। मेरा ये प्रथम गीत है जिसे लिखने का प्रयास किया है। कृपया प्रतिक्रिया देकर सही मार्गदर्शन दे अपितु मान बढाये।
बहुत सुंदर गीत शीतलेश जी…………………
बहुत बहुत धन्यवाद राज कुमार गुप्ता जी। आपकी प्रथम प्रतिक्रिया पाकर अत्यंत प्रसन्नता हुई।
वाहह्ह्ह् बेहतरीन आदरणीय
बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक जी।
बहुत खूबसूरत शीतलेश ……………!!
बहुत बहुत धन्यवाद निवातियाँ साहब।
बेहद खूबसूरत…………
बहुत बहुत धन्यवाद मधुकर जी।
बेहद खुबसूरत…………………………!
बहुत बहुत धन्यवाद कुशक्षत्रप साहब।
बेहद उम्दा…………..
बहुत बहुत धन्यवाद शर्मा जी।
Bahut khoob… Sheetlesh ji
बहुत बहुत धन्यवाद स्वाति जी।
क्या बात है शीतलेश जी कमाल कर दिया आपने ।
आपकी इस खूबसूरत प्रतिक्रिया हेतु सहृदय धन्यवाद काजल जी।
अति सुंदर रचना है. एक बार शराब (गजल) पढ़कर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
बहुत बहुत धन्यवाद विजय जी। मैं हमेशा ही आपके द्वारा लिखे गये रचनाओं की प्रतीक्षा में रहता हूँ