सारी उम्र बिता दी हमने,
सोचते सोचते बस यही,
कि लोग क्या कहेंगे।
कभी मन हुआ ,
शैतानी करने का,
या मस्ती करने का कोई,
नाचने का या कूदने का,
न कर पाए यही सोचकर,
लोग क्या कहेंगे।।
हर इच्छाओं को दबाते रहे,
यूँ ही अपने मन को समझा रहे,
काम कोई करने से पहले,
सौ बार सोच लें जरा,
कि लोग क्या कहेंगे।।
जब कदम रखा ये हमने,
जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर,
तो समझ में आया,
कि समय ही नहीं था,
किसी के पास,
हमारे बारे में सोचने के लिए।।
हम तो यूँ ही परेशां होते रहे,
यही सोच सोचकर,
कि लोग क्या कहेंगे।।
By: Dr Swati Gupta
क्या बात है स्वाति जी। “कुछ तो लोग कहेंगे, लोगो का काम है कहना “
Thanks a lot sir!!!
अक्सर ऐसा देखा जाता है की हम यही सोचने में वक्त जाया करते की लोग क्या कहेंगे
एकदम सत्य
Bahut bahut shukriya..sir!!!
आपने जो लिखा उसके बारे में मै जरुर कुछ कहना चाहूंगी……. बहुत खूब स्वाति जी……..
Thanks a lot..shrija
swati jee – Log kya hahenge bahut badi baat hai – par ham kya kar pa rahe hain usshe bhi badi baat hai. wah….
Marvellous write ………
Lots n lots of thanks..sir!!!
अति सुन्दर आदरणीया
Thanks a lot.. abhishek ji
सही बात है …………… स्वाति जी ।
Thanks in bunch..kajal ji
बिलकुल सही कहा आपने…..लोगों की ही सोचते रहे….कुछ ऐसा ही ज़िक्र मैंने आज हार-5 किया है…. बहुत खूबसूरत स्वातिजी…………….
Lots n lots of thanks… Sir!!!
यथार्थ परक रचना ….अति सुन्दर स्वाति जी !
Thanks a lots n lots… Sir!!
Very Nice….Thanks….
Thanks a lot Sir