ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया,
वो दुनिया कितनी हसीन थी
शांति थी चारो ओर
खुशियां ही हर जगह बिखरी थी
न थे ये सीमायों के मसले,
न थे ये धर्मो के संकट,
मुस्कान हर चेहरे पर खिली थी
ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया
वो दुनिया कितनी हसीन थी
न थे ये शोर शराबे,
न थे ये खून खराबे,
इंसानो के दिलो में इंसानियत दिखी थी
ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया
वो दुनिया कितने हसीन थी
मगर ये दुनिया !!
ये दुनिया हिन्दू-मुसलमान की,
ये दुनिया भारत-पाकिस्तान की,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है !!
ये दुनिया तो न थी उन ख़्वाबों में
यहाँ तो हर रोज जवान मरते हैं,
यहाँ तो इंसान ही इंसानो से डरते हैं
न कभी उन ख़्वाबों के टूटने की उम्मीद थी
ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया,
वो दुनिया कितनी हसीन थी

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सच कहा आपने राहुल जी
“ख़्वाबों में जो देखी थी दुनिया,
वो दुनिया कितनी हसीन थी”
Inshan aur inshaniyat ki ek khub surat rachna bahut achchhey.
aaj ki meri rachna -pakistan banam baluchistan aur snyukt pariwar jaroor padheyn.
ख्वाब आखिर ख्वाब होते है……………………. बहुत खूब राहुल जी
बहुत खूब राहुल जी
बहुत सुन्दर………..
दुनिया में सबसे खूबसूरत जो है वो बस ख्वाब ही है ।
बहुत खूब………………..
खूबसूरत रचना ……………..राहुल !!
Very Nice….Thanks….