“बड़ा कमज़ोर है आदमी अभी लाखों हैं इस में कमीं”…
बहुत सही लिखा गया है…सच में बहुत ही कमज़ोर हैं हम…
दूसरों से लड़ना हो तो पल में तैयार हो जाएंगे लड़ने को…
अपने आप से लड़ने में हिम्मत नहीं होती…
ऐसा ही मेरे साथ था…
मैं आपने आप से नहीं लड़ पा रहा था…
रह रह के दूसरों की अनकही बातें…
मन को व्यथित कर रही थी…
जो हुआ वो तो हो चूका था….
पर जो नहीं हुआ था अभी…उसी को सोच कर…
घर में सब क्या कहेंगे….
बाहर सब लोग क्या कहेंगे…
सब बातें करेंगे…मैं हार गया…
भाग गया मैदान से……
रेस में भाग लेने से पहले हार मान ली….
ग्लानि…कुंठा…टीस रह रह के…
मन में उबाल ला रही थी…
ऐसा था जैसे मेरा तो आस्तित्व है ही नहीं…
बहुत ही मुश्किल है अपने आप से लड़ना…
सच में….बहुत मुश्किल…
सबसे मुश्किल तो तब है जब…
पता चलने लगता है कि तुम…
तुम तो हो ही नहीं….
सिर्फ खिलौना मात्र हो…
जो सब के इशारों पे नाच रहा है…
कभी इधर कभी उधर…
और नचाने वाले मज़ा ले रहे हैं…
जब नहीं नाचते हो तुम….
तो आक्षेप लगते हैं…
कि किसी काम के नहीं हो…
कुछ नहीं आता…कुछ नहीं कर सकते तुम…
उलझ गया मैं…हर पल परेशान…ना इधर ना उधर….
हार रहा था मैं अपने आप से…
फिर से वही हार….
मुंह बाये खड़ी है…
हार………..
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/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
समयाभाव और अत्यंत व्यस्तम scheduled होने के कारण आपकी कुछ रचनाये न पढ़ पाने का अफ़सोस है।
जल्द ही सभी पढूंगा, वैसे साहित्य संकलन का नया फॉर्मेट में पुराणी रचनाये नहीं दिख रही है आसानी से।
हर आपकी रचना है
सुरेंद्रजी….आपका प्यार स्नेह जानते हैं हम….जब वक़्त लगे प्रतिकिर्या दीजे…वो मेरी रचना पर ना भी मिले कोई बात नहीं…हाँ आप वक़्त निकाल के अपनी रचना ज़रूर पोस्ट करें….यह गुज़ारिश है…मेरे जैसे आप सब गुणीजन की रचनाओं से सीखते हैं….मुझे आप सब को पढ़ने में बहुत आनंद आता….आभार आपका…….
बहुत ही खूबसूरत…………………..
आभार आपका….दिल से….
C M Sharma sahab aapne aadmi ki ashaliyat aur ushki hakikat se awgat karaya hai.
तुम तो हो ही नहीं….
सिर्फ खिलौना मात्र हो… bahut achchhi pankti hai.
आभार आपका….दिल से….
Sir….. very very nice composition…
??????
बहुत बहुत आभार आपका दिल से………..
सदैव की भांति अति सुन्दर रचना शर्मा जी !!
बहुत बहुत आभार आपका दिल से………..
Lovely words of introspection ………….
बहुत बहुत आभार आपका दिल से………..
अति सुन्दर आदरणीय
बहुत बहुत शुक्रिया….आभार आप का…….
शर्मा जी………… लाजवाब रचना है आपकी ………
बहुत बहुत शुक्रिया….आभार आप का…….
मानवीय जीवन के यथार्थ का चित्रण कितनी सहजता से उमदा भाव और सारगर्भिटा से परिपूर्ण रचनात्मकता का सटीक उदहारण प्रस्तुत किया है आपने………आपके भावो की संजीदगी का कोई सानी नहीं …….बहुत बेहतरीन बब्बू जी ।।
शब्द विहीन हूँ आपकी इस स्नेह….प्रशंसा से भरी प्रतिकिर्या का…..सच में बहुत ही ऊर्जा मिली आपके शब्दों से….मैं इसी कड़ी को लिखते कल परेशान हो गया था….बहुत काट शांनट की…संतुष्टि नहीं हो रही थी….तहदिल आभार बहुत बहुत आपके वचनों का…….