देख ली आज फिर से दुश्मन की करतूत
वार किया है पीठ पे धोखे से बन यमदूत
गीदड़ बन हर्षाये है बहा निर्दोषो का खून
हिम्मत हो तो सामने आ अभी उतारे भूत !!
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डी. के. निवातियाँ [email protected]@@
देख ली आज फिर से दुश्मन की करतूत
वार किया है पीठ पे धोखे से बन यमदूत
गीदड़ बन हर्षाये है बहा निर्दोषो का खून
हिम्मत हो तो सामने आ अभी उतारे भूत !!
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डी. के. निवातियाँ [email protected]@@
वाह…….जज़्बों को क्या भाव दिए हैं आपने…..बेहतरीन………..
बहुत बहुत धन्यवाद बब्बू जी आपका ….!!
बहुत सुन्दर और सार्थक
बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक आपका ….!!
बिलकुल सत्य कहा आपने। अब तो चुनौती देनी ही चाहिये।
बहुत बहुत धन्यवाद शीतलेश आपका ….!!
बहुत ही अच्छी रचना…सही कहा आपने सर अब उनको जवाब देने का समय आ गया है।।।
बहुत बहुत धन्यवाद डॉ स्वाति आपका ….!!
Nice description of courage
Thank You Very Much Shishir Ji.
बहुत ही सुंदर बात कही आपने………… निवातिया जी ।
बहुत बहुत धन्यवाद काजल आपका ….!!
अच्छी तात्कालिक प्रतीकात्मक रचना…………….
बहुत बहुत धन्यवाद सुरेंद्र आपका ….!!
बहुत बढिया निवातियाँ डी. के.जी ।
बहुत बहुत धन्यवाद डॉ विवेक आपका ….!!
बहुत ही अच्छा है…सर जी… धन्यवाद…
बहुत बहुत धन्यवाद द्वे जी आपका ….!!
Very nice……………..,,
बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी आपका ….!!