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सब के दिल में एक नई आस है
आज दिल सब का ही उदास है
निकलते आंसू कब से ही में इन्हे रोकती
आज घर सजाये कैसे में बच्चों को टोकती
घर बैढी माँ की आँखों को है इंतजार
कैसे क्या कहॅू आज वीर फिर है बीमार
बेटा कब से अपने पिता की गोद को है तरसें
दिल रोता बार बार आँखों से लहू है बरसें
अभिषेक शर्मा अभि
सत्य कहा आपने ……………बहुत खूबसूरत …………अभिषेक !!
हार्दिक आभार आदरणीय
खूबसुरत रचना सचमुच खून के आंसू रोते हैं ऐसा मंजर देखकर
bilkul sahi kaha aapne….bahut sundar Rachna…Abhishek ji
हार्दिक आभार आदरणीया
अभिषेक जी……..कोटि कोटि धन्यवाद ऐसी रचना के लिए….. बेहद संजीदगी से आपने भावों को प्रकट किया है और सौफीसदी सत्य है……..
हार्दिक आभार आदरणीय सादर नमन
अभिषेक जी बहुत ही बेहतरीन………
हार्दिक आभार आदरणीया
बेहतरीन रचना अभिषेक जी !!!
हार्दिक आभार आदरणीया
इस रचना में जो भाव है हृदय को छू दिया मन को रोने पर मजबूर कर दिया
हार्दिक आभार आदरणीय
नमन करता हूँ आपकी इस रचना को। जय हिन्द जय जवान।
हार्दिक आभार आदरणीय