मौसम…
“काले बदरा आसमान में,
घनन घनन घिर आये,
छमछम छ्मछ्म बारिश की,
यहाँ आकर झड़ी लगाये,
चारों और फैली हरियाली,
पेड़ों की हर अदा निराली,
फूलों की खुशबू से
वातावरण महका जाए,
कूं कूं कूं कूं कोयल कूंके,
मोर भी अपने पंख फैलाये,
झूमझूमकर झूमझूमकर
सबको नृत्य दिखाये,
ऐसे में मेरा मन भी,
बावरा हुआ जाए,
मौसम ने किया मदहोश मुझे,
मन प्यार भरे गीत ये गाये,
इस हसीं मौसम में स्वाति,
प्रदीप राग की तान सुनाये,
सुहाने से इस मौसम को,
फिर और रंगीं बनाये।।”
By:Dr Swati Gupta
बारिश की मोहक छटा आखों के अागे साकार हो उठा। अच्छी कविता डॉ. स्वाती।
बारिश की मोहक छटा आखों के अागे साकार हो उठी। अच्छी कविता डॉ. स्वाती।
Thanks a lot….vivek ji!!!
Nice description of mood changes with weather
Thanks a lot for your comment….Sir!1!
मौसम के बदलते स्वरूप का मानस के ह्रदय पटेल पर होते प्रभाव की अनुभूति को बखूबी महसूस किया है आपने ….अति सुन्दर !!
aapka bahut bahut dhanyebaad…Sir!!!
प्रकृति प्रेम भाव और बारिश से भीगी हुई आपकी रचना सच में मदहोश कर रही है। बहुत खूब स्वाति जी।
Thanks a lot Sheetlesh ji
मनोहारी………….
Aapka bahut bahut aabhar…Sir!!
अति सुन्दर आदरणीया