जय हिन्द
लो फिर शहीद हो गया मैं
मेरे देश की माटी पर हुआ फना
फिर किसी आतंकी ने मुझे घेरा
फिर से मुझे गहरी नींद में सुला दिया
फिर ज़रा से आंसू लोग बहा देंगे
फिर मेरी लाश को सलामी देंगे
मेरे जो आपने है वो मुझे न भूल पाएंगे
बाकी सभी तोह सिर्फ कुछ पल ही चीखे चिलायेंगे
मेरी शाहदत के मातम में मेरे दोस्त भी आएंगे
मुझे से बिछड़ने के गम में वे भी आवाज उठाएंगे
मुझ जैसे लोग कुछ पंक्तिया लिख कर आपने एहसासों की
फिर किसी नए मुद्दे पर नयी कविता बनायेगे………
फिर सभी कुछ दिनों में मुझे भूल जायेंगे
मेरी शाहदत को भूल दुश्मनो से वार्ता पे जायेंगे
जब मेरी मौत का होना तमाशा ही है यहाँ
तो क्यों मुझे ही शाहदत के लिए सभी ने चुना
मुझे सवाल सभी से ये करना है
क्या सिर्फ मुझे ही देश के लिए जीना या मरना है
कभी किसी को अपनों से बिछड़ने के गमो को लिए
क्या मेरे ही अपनों को सदा यहाँ इन् आहो को भरना है
जय हिन्द ……
Sahadat aur kurbani (sahid ) ek dookh prakat arne wali rachna, bahut achchhey.
Bahut sahi aur vastavikata ka sach batati hui achchi rachna…..
आपकी व्यथा आपके सवाल बहुत जायज़ हैं…..पर विडम्बना है राजनीति…हर क्षेत्र में स्योंक की तरह…