किसी की जीत और किसी की हार का अपना ही आनंद है….
जीतने वाला इस लिए खुश होता की उसने दूसरे को हरा दिया….
पर कोई कोई हार के भी खुश होता है…
और कोई बिना भागे ही जीत जाता है….
कितना अजीब सा है…
है ना…
कुछ रोज़ हुए एक ‘इंसान’ बच्चों की रेस देख रहा था खुश हो रहा था…
मैं भी देखने लगा…मजा आ रहा था…
पर वो कुछ ज्यादा आनंदित हो रहा था….
मैंने उस से पुछा ‘आप का बच्चा भाग रहा क्या’
बोला “नहीं”…
‘तो फिर…आप रेस लगाते होंगे…
जो पूरा आनंद ले रहे’….
“मैं कभी भागता था…फिर छोड़ दिया”….
‘क्यूँ छोड़ा’…..
“पापा ने कहा था की देखो बेटा तुम भागो ज़रूर….
पर जिस भाग-दौड़ से संतुष्टि ना हो…ग्लानि हो कैसी भी…
मत भागना”….
‘फिर’…
“बस मैंने भागना छोड़ दिया”…..
मैं मंत्रमुगध हो उसकी बातें सुन रहा था…
एक दम मुंह से निकला…
‘आप अपनी ज़िन्दगी से संतुष्ट हैं’…..
“हाँ बिलकुल”….
और उसने जब मेरी तरफ देखा…
उसकी आँखों में अजीब सी चमक थी…
वो चमक जो मैं अपनी आँखों में देखने को…
हर किसी की आँखों में देखने को लालायित था…
प्रश्न भरी मेरी आँखों को देख वो फिर बोला..
“सुख और संतुष्टि मापे जाते तो सब की सीमा तय होती…
और सब सुखी संतुष्ट होते…ये अपने अंदर है सब…
जब अंदर की भाग दौड़ ख़तम होती तो संतुष्टि मिलती”…..
अभी सुन रहा था की उसने कहा…
“फिर मिलते हैं”….
मेरी तन्द्रा भंग हो गयी…
“फिर मिलते हैं” ऐसे गूँज रहा था अंदर…
जैसे ख़ुशी….चमक…जीत उसकी आँखों की…
कह रही हो…”फिर मिलते हैं”…
क्यूँ फिर….
अभी ही क्यूँ नहीं…
क्यूँ नहीं अभी मिल जाती मुझे…
जिसकी तलाश में हर कोई भाग रहा…
आगे निकलने की होड़ में…
ताकि दूसरा उसको ना हथिया ले कहीं पहले….
पर वो ‘इंसान’ बिना भागे जीत गया रेस…
कैसे…
रह रह के वो शब्द गूँज रहे हैं…
“फिर मिलते हैं”….
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/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)…
बहुत खूब…………………….क्या बात है।
बहुत बहुत आभार आपका………..
very deep thoughts….. very nice……
बहुत बहुत आभार आपका………..
BAHUT ACHCHHEY BHAW EK GUDGUDI DILANE WALI RACHNA.
बहुत बहुत आभार आपका………..
दार्शनिक अन्दाज़ में आजकल खूब लिख रहे हैं आप और खूब अच्छा लिख रहे हैं .अति सुन्दर …..,
आपको अच्छा लगा सुन कर प्रसन्नता हुई…..बहुत बहुत आभार आपका…..
बहुत ही अच्छी और प्रेरित करती रचना।।Sir!!!!
बहुत बहुत आभार आपका…..
Lovely thoughts Babbu ji ……..Great work.
बहुत बहुत आभार आपका…..
शर्मा जी आपकी एक रचना के कई भाव नजर आ रहे हैं ।
बहुत खूब……… बेमिसाल रचना …….
आपकी बेमिसाल प्रतिकिर्या का तहदिल बेमिसाल आभार….हा हा हा……
आपकी रचना में आपकी छाप स्पष्ट नजर आती है …………आपके जिस विषय को छूते है उसमे पूर्णतया: समाहित होकर फिर जो गहन चिंतन के मंथन से शब्दो का सृजन करते है …..एक साहित्यिक की यह सबसे बड़ी विशेषता होती है …आपकी रचनात्मकता का गुणगान शब्दो में करना अपर्याप्त है ……………बहुत खूबसूरत बब्बू जी !!
आपकी प्रशंसा का तहदिल आभार….
बहुत अच्छा लिखा है आपने…….
बहुत बहुत आभार आपका…अल्काजी…