हम तुम्हें देखते रह गये रात भर
तेरा चेहरा समझते रहे रात भर।
हम तो तन्हां में करवट बदलते रहे
ख्वाबों में संवरते रह गये रात भर।
जिसको छुआ नहीं रूह तक समा गई
दिल धड़कन धड़कते रह गये रात भर।
बे इंतिहां मुहब्बत की क्या बात है
ऑख मेरे ठगते रह गये रात भर।
सवेरा हुआ तो मैं उठ भी गया
क्या क्या देखते रह गये रात भर।
ये रिश्ता नहीं रस है प्यार का
दिवानगी में बहकते रह गये रात भर।
Writer Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
D/O Birth 10.10.1963
Shivpuri jamuni chack Barh RS Patna (Bihar)
Pin Code 803214
Mobile No. 9661065930
बहुत ही सुंदर रचना…….. शर्मा जी ।
Bahut – bahut dhanyabad kajalsoni jee.
सुंदर रचना…….. शर्मा जी
Manoj jee thanks for your comments.