गुमनाम राहो पर एक नयी पहचान हो जाए
चलो कुछ दूर साथ तो, सफ़र आसान हो जाए||
होड़ मची है मिटाने को इंसानियत के निशान
रुक जाओ इससे पहले, ज़हां शमशान हो जाए||
वक़्त है, थाम लो, रिश्तो की बागडोर आज
ऐसा ना हो कि कल, भाई मेहमान हो जाए||
इंसान हो इंसानियत के हक अदा कर दो
ऐसा ना हो ये जिंदगी, एक एहसान हो जाए ||
अपनी ही खातिर आज तक जीते चले आए
आओ चलो किसी और की, मुस्कान हो जाए ||
very nice sir……………………..
thanks a lot ji……..
अपनी ही खातिर आज तक जीते चले आए
आओ चलो किसी और की, मुस्कान हो जाए ||
बहुत ही अच्छा शिवदत्त श्रोत्रिय जी।
विवेक जी सब आप लोगो का प्यार है…
Beautiful…………………………….
Nivatiya ji ….. AAbhar aapka…..
बहुत खूबसूरत……..
Sukriya babu ji….
बेहतरीन आदरणीय शिवदत्त जी
Surendra ji Aabhar aapka….
बहुत सूंदर गजल……………………………
Vijay ji sab aap logo ka sath ka asar hai..
बहुत खुबसूरत रचना सर ..||
अंकिता जी आपका बहुत बहुत आभार, प्लीज़ सर शब्द का इस्तेमाल ना करे यहाँ पर सब बराबर है….
सुन्दर रचना……. शिवदत्त जी…….
kajal ji aapka bahut bahut aabhar…
बहुत सुन्दर रचना शिवदत्त जी !!
Mani bhai ji bahut bahut sukriya..