आसमां के उस पार एक जहाँ और भी है
मंजिल पर है तू मगर, एक राह और भी है
रुकता क्यों है तू अभी से,
तेरी एक चाह और भी है
आसमां के उस पार एक जहाँ और भी है
ख्वाब जो देखे थे तूने
सच वो सारे करदिए
पल वो सारे खुशिओं के
जीवन में अपने भर दिए
आंख क्यों खोलता है अभी से,
तेरा एक ख्वाब और भी है
आसमां के उस पार एक जहाँ और भी है
अंत नही है ये,
नई एक शुरुवात है ये
जीवन के सच से तेरी मुलाक़ात है ये
बैठता क्यों है तू अभी से,
नया एक लक्ष्य और भी है
मंजिल पर है तू मगर एक राह और भी है
आसमां के उस पार एक जहाँ और भी है
बेहद खूबसूरत लिखा है आपने…….
उत्तम सृजन ………
बेहतरीन प्रयास राहुल जी………. आगे के लिए शुभकामना
bahut acche sir……………
बहुत खूब……………………………………