जीना सीख ले तो,
ज़िन्दगी बड़ी प्यारी है।
न नफ़रत हो मन में,
न हिंसा हो व्यवहार में।
भेदभाव ख़तम करे हम,
सबको माने अपना हम।
बड़े का सम्मान करे,
छोटो से प्यार करे।
त्याग करे हम,
झूठ, अहंकार और हिंसा।
मन में रहे हमेशा,
ईमानदारी, नम्रता और उम्मीद।
सोच के इस्तमाल करे,
समय, अवसर और शब्द।
आत्मविश्वास न हिलने पाए,
जीवन में तब खुशिया आए।
सच्चाई का अगर रास्ता अपनाए,
जीवन में सुकून एवं शांति आए।
‘अनु महेश्वरी’
चेन्नई
अनु जी आप सच कहती हैं बहुत सीधा सा रास्ता है जीने का पर हम हैं कि टेढ़े….सीधा नहीं चलते हा हा हा…बहुत ही सुन्दर……
Thanks Babucmji…
very true sentiments Anu
Thanks Shishirji…
खुबसूरत रचना………………
Thanks Ashokji….
खुबसूरत रचना………………………!
Thanks Surendraji…..
अनु जी बड़े सु विचार हैं ,सुंदर कविता
Thanks Kiranji…
Anu jee aapne baat bahut achchhi kahi hai, bas amal karnewala mil ji ….badi bat hai.
KUCHH MER BHI DOHE PADHEYN.
Thanks Bindeshwarji…
बहुत खूब लिखा है आपने लोग सीधा रास्ता छोड़कर टेढ़े रस्ते से चलना ज्यादा पसंद करने लगे हैं …अति सुंदर..
आपकी नज़रों की प्रतीक्षा में “शराब (गजल)” है. अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
Thanks Vijay…Kash log sidha rasta apnale..peace hi peace rahega life me..
अनु महेश्वरी जी कलयुग के इस दौर में और आपा-धापी में इंसानियत कहीं खो सी गयी है। एक सन्देश भरी रचना। बहुत बढ़िया।
Thanks Sheetleshji…
बहुत ही सुंदर रचना अनु जी ।
Thanks Kajalsoniji….
Thanks Kajalsoniji…