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पटना, बिहार
महोदय जी सादर नमन।
सोने का छप्पय छंद की प्रस्तुत पँक्तियों में प्रथम चार पँक्तियाँ रोला की है। पर रोला के विषम और सम चरणांत विधि विरुद्ध है यहाँ पर।
विषम चरणांत गुरु लघु से होता है पर आपने नहीं की है। इसी तरह सम चरणांत में गुरु अनिवार्य है वो भी नहीं है। अंतिम दो पँक्तियाँ उल्लाला की है उसमें भी चरणांत में त्रुटियाँ है। सुधार सादर निवेदित है।
Lovely words……………………
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
बहुत खूब विजय जी। आपने बचपन में पढ़ी हुई बाल कविता का स्मरण करा दिया। “लालची लोभी ” शीर्षक था उसका। आपने इसे छंद रूप में प्रस्तुत किया।
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
very nice vijay ji……………………
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
कहानी रुपी काव्य ….. अति सुन्दर ……….
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
प्राचीन कहानी का छप्पय छंद रूपांतरण अति सुन्दर रचनात्मकता !!
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
प्रेरक रचना……..बहुत खूबसूरत………..
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
बहुत सुन्दर रचना विजय जी !!
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
महोदय जी सादर नमन।
सोने का छप्पय छंद की प्रस्तुत पँक्तियों में प्रथम चार पँक्तियाँ रोला की है। पर रोला के विषम और सम चरणांत विधि विरुद्ध है यहाँ पर।
विषम चरणांत गुरु लघु से होता है पर आपने नहीं की है। इसी तरह सम चरणांत में गुरु अनिवार्य है वो भी नहीं है। अंतिम दो पँक्तियाँ उल्लाला की है उसमें भी चरणांत में त्रुटियाँ है। सुधार सादर निवेदित है।