आराम तो हराम है…
पर आराम भी काम है….
घर समाज की सोच में…
हो गयी सुबह से शाम है…
थक गया हूँ खाली बैठे…
अब करतें थोड़ा आराम है….
ग़ज़ल कविता रचना ये सब…
स्त्रीलिंग पे ही रखे क्यूँ नाम हैं….
जब सब अच्छा सा लिखते हैं…
फिर कचरापेटी का क्या काम है…
सब ढूंढो इसमें मिलके लय ताल …
मेरे लिखे में मेरा क्या काम है……
विनोद करना विनोद का काम है…
विनोद छुट्टी लेके कर रहा आराम है….
बस कर दे अब “बब्बू”, पढ़ के…
सब कर देंगे तेरा काम तमाम है…
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/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)
क्या बात है शर्मा जी। आराम ही आराम है।
बहुत बहुत आभार आपका……….
Humorous write……………….
आपको पसंद आया….आभार आपका….
आराम में भी काम विनोद करने करने का. बहुत सुंदर …………………….
बहुत बहुत आभार आपका……….
व्यंग्य भी, हास्य भी तथा मुख जैसों को आईना दिखाती खुबसूरत रचना
सर मैंने सिर्फ ये विनोद के लिए लिखी….व्यंग के लिए भी नहीं…और किसी को इंगित कर के भी नहीं…. कारण इस रचना का बताता हूँ… काम बहुत था आज मेरे पास पर मन नहीं था….मन में ऐसे ही विचार आया कि मना काम करे ले आराम हराम है…. ऐसे ही ये शब्द मैंने टाइप किये कंप्यूटर पे…और लिखने लग गया जो आया मन में….और पोस्ट कर के फ़टाफ़ट चला गया…और देखिये इस के बाद काम में जुट गया…. और मजा आया काम में… आप के या किसी व्यक्ति के ऊपर नहीं है…और कृपया लें भी ना…. आपका आभार……
शर्मा जी……. बहुत खूब……… क्या बात है एक दम से भांति भांति के शीर्षकों पर लिख रहे हैं आप ……
काजलजी…. आप कि प्रतिकिर्या करवाती सब…. हा हाहा…. आभार आपका….
वाह क्या स्वादिष्ट खिचड़ी बनाई है……….मैं सोचता ही रहा गया और आपने बनाकर परोस भी दी…….. हाहाहा………..बहुत खूबसूरत सृजन बब्बू जी !!
सर आपको पसंद आ गयी….मजा आ गया….मैंने ऊपर लिखा खिचड़ी कैसे बनायी…बस वक़्त ही नहीं मिला मसाले डालने के… हा हा हा…..आभार आपका बहुत बहुत……….
hahaha,,,,,,,,,,,,,,,,,,bahut acche sir………………….
बहुत बहुत शुक्रिया………..गायब मत रहा करो बस……