ज़न्नत को गर पाना दिल रखना है सा़फ
आतंक और मक्कारी से होते सब है ख़िलाफ़
मालिक का यह रास्ता है समझ ले इसांन
अच्छा काम ही करता रहे वही है इन्साफ
आतंक और मक्कारी से होते सब है ख़िलाफ़
मालिक का यह रास्ता है समझ ले इसांन
अच्छा काम ही करता रहे वही है इन्साफ
खोना है जो खो गया मिलता किस्मत के नाम
करना है जो कर लिया अब छोड ही दे आराम
नफरत को अब मिटना है दिल मे भर ले प्यार
मिलना है जो मिलेगा मत छोड अपना मुकाम
अभिषेक शर्मा अभि
करना है जो कर लिया अब छोड ही दे आराम
नफरत को अब मिटना है दिल मे भर ले प्यार
मिलना है जो मिलेगा मत छोड अपना मुकाम
अभिषेक शर्मा अभि
वाह अति सुंदर ……
हार्दिक आभार आदरणीय
सही कहा आपने आदरणीय अभिषेक जी आतंक और मक्कारी किसी को प्रिय नहीं
बहुत खूबसूरत…………..
बहुत खूब………………….. अभिषेक जी।
हर बार की तरह बहुत खुबसूरत रचना…….. अभिषेक जी ।