भारत की पहचान है हिंदी
जन जन का सम्मान है हिंदी
लेकिन क्यूँ लगती बेघर ये
झेल रही अपमान है हिंदी।
अपनेपन की शीतल सरिता
प्यारी एक जुबान है हिंदी।।
दुनिया में लहराती परचम
भाषा एक महान है हिंदी।।
बहती उत्तर से दक्षिण तक
एका की पहचान है हिंदी।।
मान दिलाये दूर देश में
गीता है कुरान है हिंदी।।
रहती है बंधकर नियम में
भाषा में विज्ञान है हिंदी।।
जोश जगाती रणवीरों में
तिरंगे का मान है हिंदी।।
वीरों की गाती गाथा है
इस मिट्टी की जान है हिंदी।।
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सुरेन्द्र नाथ सिंह ‘कुशक्षत्रप’
Surendra beautiful thoughts on our beloved Hindi
रचना को सम्मान देने के लिए आभार आदरणीय शिशिर जी
हिंदी के सम्मान में हिन्दुस्तान की तहजीब को दर्शाती बहुत खुबसूरत रचना सुरेन्द्र ……….।।
कोटि कोटि धन्यवाद निवातिया सर
लाजवाब……..भारत की एकता……सभ्यता……ह्रदय विशालता…. जोश ….उमंग का……हम सब की पहचान का परचम आपने लहर दिया भाषा के माध्यम से…..जय हिंदी..जय भारत….आपकी रचना को …..भावों को नमन…..
धन्यवाद आदरणीय बब्ब्बू जी………….
राष्ट्र की एकता अखण्डता को मुखर रुप में जोड़ने वाली हमारी हिन्दी भाषा को शत शत नमन !! और आपके शब्द-संयोजन
को भी .
मीना जी रचना पसंद करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर ………..
अंकित कुमार तिवारी जी ह्रदय तल से आभार
दुनिया में लहराती परचम ………………… वोभाषा है हिंदी हमदम
अति सुन्दर
कोटि कोटि धन्यवाद मनोज जी……..
दुनिया में लहराती परचम ………………… वो भाषा है हिंदी हमदम
अति सुन्दर
हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी ही हमारी पहचान है पुरे विश्व में। हिंदी भाषा को गौरवान्वित करती आपकी ग़ज़ल को मैं सलाम करता हूँ।
धन्यवाद शितलेश जी………………
सुरेंद्र जी काबिले तारीफ है आपकी रचना…… हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी को मेरा सलाम……
धन्यवाद आद0 काजल जी………..