ये चाँद,ये तारे,ये रतिया
तुम्हारे बिन न बांहो का तकिया
के तुमको ही ढूढती है बहिया।
ये मेहदी,ये पायल,ये बिदियां
तुम बिन नही कोई बतियां
के तुमको ही ढूढती है अखियां।
ये आस ,ये प्यास,ये निजमन की बतियां
तुम बिन नही कोई स्मृतियां
के तुमको ही ढूढती है आंसुओ की लडि़या।
Beautiful expression…………………….
Dhanybaad sir………………..
Beautiful and beautiful
Beautifuly………………….thank you……
Nice poem……………..,
प्रीतम के प्रति प्रेम को दर्शाती खुबसूरत रचना ।।
बहुत ही प्रेमभरी बत्तियां……….बेहद सुन्दर…….ये पायल…ये मेहँदी… ये बिंदिया …. कैसा लगता है नीचे से ऊपर का क्रम…..
Babu ji………ladakiya udasi me pahle hath fir payal dekhati hai last me maathe par Aaine me bidiya dekhati hai……… ..thats it
बहुत बहुत शुक्रिया आपका ज्ञान वर्धन के लिए……
बहुत सुंदर ………..
प्रेम से सराबोर सुन्दर रचना
बेहतरीन………………savita varma ji
Sabhi ka hardhik abhinandan……………….
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति……………………
बहुत ही खूबसूरत रचना सविता जी ।
Dhanybaad………………………