Homeचन्द्रकुंवर बर्त्वालघर की याद-6 घर की याद-6 विनय कुमार चन्द्रकुंवर बर्त्वाल 19/03/2012 No Comments जीवन भर दुख सहा, दुख सहकर जीवन भर झेली पीड़ा रोकर जो शांति सुखी को मिलती है वह मरण शांति हो मेरी है आज समाप्ति सुख-दुख की आख़िरी हिचकियाँ ये मेरी है आज रुदन का अंतिम दिन आख़िरी सिसकियाँ ये मेरी Tweet Pin It Related Posts घर की याद-4 प्रकाश हास मुझको पहाड़ ही प्यारे हैं About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.