शब्दो का भण्डार है जो,
भारत और भारतीयों की पहचान है जो ,
सबसे भिन्न हमारे देश को अद्वितीय बनाती,
अमूल्य हमारी मातृभाषा ”हिंदी” वो कहलाती ,
कहते हैं गोरों से हम आज़ाद हो गए,
फिर क्यों अंग्रेजी की बेड़ियों से जकड गए?
कहते हैं हम स्वाधीन हो गए ,
फिर क्यों ‘क ख ग’ से ज्यादा ‘ए बी सी’ के अधीन हो गए?
सुनके पापा की ‘चंदा मामा’ सुकून भरी नींद तो आती,
”ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार” मात्र एक कविता बनके रह जाती,
हमारे अस्तित्व का आधार जो ”माँ” है कहलाती ,
”मम्मी” शब्द से लगता मानो इजिप्ट के पिरामिड की याद आती,
खूब ही कहा है अंग्रेज गए पर अंग्रेजी छोड़ गए,
बिना हमारी भाषा का एक शब्द लिए वोह ख़ाली हाथ गए,
और हम भारतीयों की महानता तो देखो,
अंग्रेजी जैसे विषय न केवल हमारे पाठ्यक्रम में शामिल हो गए,
अपितु बिना उसके ज्ञान के न जाने कितने ज्ञानी बेरोजगार हो गए,
नौकरी हो या परीक्षा,हिंदी से ज्यादा अंग्रेजी विषय अनिवार्य हो गए,
तो आखिर कैसे हम स्वाधीन हो गए????
बहुत सही कहा आपने…….
thank you sir..
बहुत ही सटीक रचना……… बहुत खूब……..
well thank you as i am new here so please tell how to type in hindi?
सुंदर प्रस्तुति ..बहुत खूब ..
thank you..
बहुत खूब …………………………………