गहरा तालाब हूँ मैं,
उमड़ता सैलाब हूँ मैं
खिलता फूल हूँ मैं,
चुभता शूल हूँ मैं
उगता सूरज हूँ मैं,
लहराता ध्वज हूँ मैं
तेज तलवार हूँ मैं,
स्वर्ण अलंकार हूँ मैं
अँधेरी रात हूँ मैं,
पहली बरसात हूँ मैं
चमकता तारा हूँ मैं,
बहती धारा हूँ मैं
खुला आसमान हूँ मैं,
हरा मैदान हूँ मैं
कंकर नही, चट्टान हूँ मैं
हाँ !! इंसान हूँ मैं !!!
राहुल
http://kumarrahulblog.wordpress.com
बेहद खूबसूरत……..
धन्यवाद जी….!!
Very beautiful………………………………….
Thankyou sir………
बहुत खूब राहुल जी ……….
धन्यवाद काजल जी…!!!
Beautiful……………….
Thankyou sir…………