मेरी हैं एक प्यारी बहना ,
बुरा कभी न उसको कहना।
एक लम्बी सी चोटी है ,
और थोड़ी सी मोटी हैं ।
छिन झपट कर खाये खजाना ,
ले लेती हैं सारे खिलौना ।
मेरी हैं एक प्यारी बहना ,
बुरा कभी न उसको कहना ।
तोता उसको भाता हैं ,
जो गाजर मिर्ची खाता है ।
बिल्ली से वो चिढती हैं ,
सब से देखो वो लडती हैं ।
आता नहीं है उसको सहना ,
मेरी हैं एक प्यारी बहना ,
बुरा कभी न उसको कहना ।
मम्मी की वो प्यारी है ,
और पापा की दुलारी है ।
दादा दादी की आँख का है तारा,
रह जाता हूँ मैं ही बेचारा ।
दौड़ दौड़ के खेले हैं ,
मन जो चाहे ले ले हैं ।
प्यारी प्यारी उसकी सहेली ,
नाचे देखो छैल छबिली।
बिन उसके मुझको नहीं रहना ,
मेरी हैं एक प्यारी बहना ,
बुरा कभी न उसको कहना । ।
“काजल सोनी “
बहुत अच्छी बाल कविता बन पड़ी है काजल जी
सुरेंद्र जी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
कविता के लय ताल का गुनगुनाने में मजा आ गया …… .लाजवाब…….
शर्मा जी कोटी कोटी आभार आपका ।
बहुत सुंदर….धन्यवाद सुश्री काजल जी….
बहुत बहुत आभार आपके आशिर्वाद का दवे जी।
बहुत ही सुन्दर रचना ………………….
शीतलेश जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
Beautiful………….your writing improving rapidly.
विजय जी आपकी खुबसूरत प्रतिक्रिया का बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
Read “Maa” and provide your valuable comment.
जी बिलकुल विजय जी ।
बहुत खूबसूरत काजल ह्रदय के भावो को अच्छे शब्द दिए है आपने !!
बहुत बहुत धन्यवाद आपका निवातिया जी ।